The best Side of Shodashi
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Kadi mantras are regarded as by far the most pure and in many cases are utilized for larger spiritual methods. They are affiliated with the Sri Chakra and so are considered to provide about divine blessings and enlightenment.
The graphic was carved from Kasti stone, a scarce reddish-black finely grained stone used to vogue sacred images. It had been brought from Chittagong in existing day Bangladesh.
कामेश्यादिभिरावृतं शुभ~ण्करं श्री-सर्व-सिद्धि-प्रदम् ।
यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।
सा नित्यं मामकीने हृदयसरसिजे वासमङ्गीकरोतु ॥१४॥
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
काञ्चीपुरीश्वरीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१०॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, check here क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।
The Mahavidya Shodashi Mantra fosters emotional resilience, supporting devotees strategy lifestyle that has a tranquil and steady head. This advantage is efficacious for those enduring anxiety, because it nurtures internal peace and the opportunity to maintain emotional harmony.
॥ ॐ क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं श्रीं ॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।